Thursday, 20 July 2017

1857 Ki Kranti Kuch Mahatvapurnn Tathya Yah Bhaarat Me Mahabahrat Ke

1857 की क्रांति कुछ महत्वपूर्ण तथ्य


यह भारत में महाभारत के बाद लड़ा गया सबसे बडा युद्ध था। इस संग्राम की मूल प्रेरणा स्वधर्म की रक्षा के लिये स्वराज की स्थापना करना था। यह स्वाधीनता हमें बिना संघर्ष, बिना खड़ग-ढ़ाल के नहीं मिली, लाखों व्यक्तियों द्वारा इस महायज्ञ में स्वयं की आहुति देने से मिली है।

लार्ड डलहौजी ने 10 साल के अन्दर भारत की 21 हजार जमींदारियां जब्त कर ली और हजारों पुराने घरानों को बर्बाद कर दिया।

ब्रितानियों ने अपने अनुकूल नवशिक्षित वर्ग तैयार किया तथा भारतीय शिक्षा पर द्विसूत्रीय शिक्षा प्रणाली लागू की ताकि ये लोग ब्रितानी सरकार को चलाने में मदद कर सके।

ब्रिटिश सरकार ने 1834 में सभी स्कूलों में बाइबिल का अध्ययन अनिवार्य बना दिया क्योंकि ईस्ट इंडिया कंपनी के सभी अधिकारी सामान्यत: अपने व्यापारिक काम के साथ-साथ ईसाई मत का प्रचार करते हुए लोगों को धर्मांतरित करना अपना धार्मिक कर्तव्य मानते थे।

विश्व में चित्तौड ही एक मात्र वह स्थान है, जहाँ 900 साल तक आजादी की लड़ाई लड़ी गई।

भारत में ब्रिटिश सरकार के शासन काल के समय जहां-जहां ब्रितानियों का राज था वहाँ आम लोग उनके सामने घुड़सवारी नहीं कर पाते थे।

क्रांति के समय प्रत्येक गाँव में रोटी भेजी जाती थी जिसे सब मिलकर खाते व क्रांति का संकल्प करते थे। कई रोटियाँ बनकर आस पास के गाँवो में जाती। सिपाहियों के पास कमल के फ़ूल जाते व हर सैनिक इसे हाथ में लेकर क्रांति की शपथ लेता था।

दिल्ली पर चारों तरफ़ से ब्रितानियों ने हमला किया जिसमें पहले ही दिन उनके तीन मोर्चों के प्रमुख कमांडर भयंकर रू प से घायल हुए, 66 अधिकारी व 404 जवान मृत हुए।

बनारस के आसपास जनरल नील ने बदले की भावना से भयंकर अत्याचार किए। हजारों लोगों को फ़ांसी देना, गाँव जलाकर लोगों को जिन्दा जलाना जैसे कई प्रकार के अत्याचार किए। वे बड़े वृक्ष की हर डाली पर लोगों को फ़ांसी पर लटकाते चले गये।

24 जुलाई को क्रांतिकारी पीर अली को ब्रितानियों ने पटना में फ़ांसी देते ही दानापुर की पलटन ने संग्राम प्रारम्भ कर दिया। उन्होंने जगदीशपुर के 80 साल के वयोवृद्ध राजपूत कुंवरसिंह को अपना नेता बनाया। कुंवरसिंह ने इस उम्र में जिस तरह से कई लड़ाईयां लड़ी वह वास्तव में प्रेरणादायी है। उनकी प्रेरणा से पटना आरा, गया, छपरा, मोतीहरी, मुज्जफ़रनगर आदि स्थानों पर भी क्रांति हो पाई थी।

भारत के वीर सेनानी तांत्या टोपे को ब्रितानियों ने 7 अप्रेल 1859 की सुबह गिरफ़्तार किया और 15 अप्रैल को ग्वालियर के निकट शिवपुरी में सैनिक न्यायालय में मुकदमे का नाटक किया गया और उनको फ़ांसी देने की घोषणा की गई। 18 अप्रैल 1859 को शाम 7 बजे उन्होंने वीर योद्धा की तरह खुद ही अपनी गर्दन फ़ांसी के फंदे में डाली व अनंत यात्रा पर निकल पडे।

यह बात सरासर झूठ है कि 1857 की क्रांति केवल सिपाही विद्रोह था क्योंकि शहीद हुए 3 लाख लोगों में आधे से ज्यादा आम लोग थे। जब इतनी बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं तो वह विद्रोह नहीं बल्कि क्रांति या संग्राम कहलाता है।

केवल दिल्ली में 27,000 लोगों को फ़ांसी दी ग़यी।

भगवा, विरसा मुंडा जैसे कई जनजाति नेता, क्रांतिकारी वसुदेव, बलदेव फड़के से लेकर सावरकर, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह जैसे कई दीवाने एवं सुभाष की आजाद हिन्द फ़ौज तथा गाँधीजी का अहिंसक आंदोलन आदि सभी ने इसी 1857 की क्रांति से प्रेरणा पाई थी।

इस क्रांति के समय मुम्बई में 1213, बंगाल में 1994, मद्रास में 1044 सैनिकों के कोर्ट मार्शल किये गये थे।

इस आंदोलन में तीन लाख से भी अधिक लोग शहीद हुए, अकेले अवध में 1 लाख 20 हजार लोगों ने अपनी आहुति दी थी। लखनऊ में 20 हजार, इलाहबाद में 6000 लोगों को ब्रितानियों ने सरेआम कत्ल किया था।

1857 के स्वाधीनता संग्राम के बाद 1857 में ईस्ट इंडिया कम्पनी के 100 पॉन्ड की कीमत का शेयर 10000 पॉन्ड में खरीदकर ब्रिटिश सरकार ने भारत पर अपना अधिकार कर लिया था।

1857 Ki Kranti Kuch Mahatvapurnn Tathya


Yah Bhaarat Me Mahabahrat Ke Baad Lada Gaya Sabse Bada Yudhh Tha । Is Sangram Ki Mool Prerna Swadharm Ki Raksha Ke Liye SwaRaj Ki Sthapanaa Karna Tha । Yah Swadheenta Hamein Bina Sangharsh , Bina Khadag - Dhal Ke Nahi Mili , Lacs Vyaktiyon Dwara Is MahaYagya Me Swayam Ki Aahuti Dene Se Mili Hai ।

Lord Dalhauji ne 10 Sal Ke Andar Bhaarat Ki 21 Hazar Jameendariyan Jabt Kar Lee Aur HaJaron Purane gharanon Ko BarBaad Kar Diya ।

Britanian ne Apne Anukool NavShikshit Warg Taiyaar Kiya Tatha Indian Shiksha Par DwiSutreey Shiksha Pranali Lagu Ki Taki Ye Log Britani Sarkaar Ko Chalane Me Madad Kar Sake ।

British Sarkaar ne 1834 Me Sabhi Schools Me Bible Ka Adhyayan Anivarya Banaa Diya Kyonki East India Company Ke Sabhi Adhikari Samanyatah: Apne Vyaparik Kaam Ke Sath - Sath Isai Mat Ka Prachar Karte Hue Logon Ko Dharmantarit Karna Apna Dharmik Kartvya Mante The ।

Vishwa Me Chittaud Hee Ek Matra Wah Sthan Hai , Jahan 900 Sal Tak Aajadi Ki Ladai Ladi Gayi ।

Bhaarat Me British Sarkaar Ke Shashan Kaal Ke Samay Jahan - Jahan Britanian Ka Raj Tha Wahan Aam Log Unke Samne GhudSawari Nahi Kar Pate The ।

Kranti Ke Samay Pratyek Village Me Roti Bheji Jati Thi Jise Sab Milkar Khate Wa Kranti Ka SanKalp Karte The । Kai Rotiyan Bankar Aas Paas Ke Ganvo Me Jati । Sipahiyon Ke Paas Kamal Ke Fool Jate Wa Har Sainik Ise Hath Me Lekar Kranti Ki Sapath Leta Tha ।

Delhi Par Charo Taraf Se Britanian ne Hamla Kiya Jisme Pehle Hee Din Unke Teen Morchon Ke Pramukh Commander Bhayankar Roo प Se Ghayal Hue , 66 Adhikari Wa 404 Jawan Mrita Hue ।

Banaras Ke AasPaas General Neel ne Badle Ki Bhawna Se Bhayankar Atyachar Kiye । HaJaron Logon Ko Fansi Dena , Village Jalakar Logon Ko Jinda Jalana Jaise Kai Prakar Ke Atyachar Kiye । Ve Bade Vriksh Ki Har Dali Par Logon Ko Fansi Par Latkate Chale Gaye ।

24 July Ko Krantikari Peer Ali Ko Britanian ne Patana Me Fansi Dete Hee DanaPur Ki Paltan ne Sangram Prarambh Kar Diya । Unhonne Jagadishpur Ke 80 Sal Ke VayoVridhh Rajput Kunvarsingh Ko Apna Neta Banaya । Kunvarsingh ne Is Umra Me Jis Tarah Se Kai Ladaiyan Ladi Wah Wastav Me PrernaDayi Hai । Unki Prerna Se Patana Aara , Gaya , Chhapra , MotiHari , MuzaffarNagar Aadi Sthano Par Bhi Kranti Ho Pai Thi ।

Bhaarat Ke Veer Senani Tantya Tope Ko Britanian ne 7 April 1859 Ki Subah Giraftaar Kiya Aur 15 April Ko Gwalior Ke Nikat Shivpuri Me Sainik Nyayalaya Me Mukadme Ka Natak Kiya Gaya Aur Unko Fansi Dene Ki Ghoshna Ki Gayi । 18 April 1859 Ko Sham 7 Baje Unhonne Veer Yoddha Ki Tarah Khud Hee Apni Gardan Fansi Ke Fande Me Dali Wa Anant Yatra Par Nikal Pade ।

Yah Baat Sarasar Jhooth Hai Ki 1857 Ki Kranti Kewal Sipahi Vidroh Tha Kyonki Shahid Hue 3 Lakh Logon Me Adhe Se Jyada Aam Log The । Jab Itni Badi Sankhya Me Log Shamil Hote Hain To Wah Vidroh Nahi Balki Kranti Ya Sangram Kehlata Hai ।

Kewal Delhi Me 27 , 000 Logon Ko Fansi Dee Gayi ।

Bhagwa , Virsa Munda Jaise Kai JanJati Neta , Krantikari Vasudev , Baldev Fadke Se Lekar Sawarkar , chandrashekhar Azad , Bhagat Singh Jaise Kai Deewane Aivam Subhash Ki Azad Hind Fauj Tatha Gandhiji Ka AHinsak Andolan Aadi Sabhi ne Isi 1857 Ki Kranti Se Prerna Pai Thi ।

Is Kranti Ke Samay Mumbai Me 1213 , Bangal Me 1994 , Madras Me 1044 Sainiko Ke Court Marshal Kiye Gaye The ।

Is Andolan Me Teen Lakh Se Bhi Adhik Log Shahid Hue , Akele Avadh Me 1 Lakh 20 Hazar Logon ne Apni Aahuti Dee Thi । Lucknow Me 20 Hazar , Ilahbaad Me 6000 Logon Ko Britanian ne SareAam Katl Kiya Tha ।

1857 Ke Swadheenta Sangram Ke Baad 1857 Me East India Company Ke 100 Pond Ki Keemat Ka Share 10000 Pond Me KhareedKar British Sarkaar ne Bhaarat Par Apna Adhikar Kar Liya Tha ।

Wednesday, 12 July 2017

Indian Shahar Ahmedabad Ko 08 July 2017 UNESCO Dwara Bhaarat Ki Pehli

भारतीय शहर अहमदाबाद को 08 जुलाई 2017 को यूनेस्को द्वारा भारत की पहली वर्ल्ड हेरिटेज सिटी के रूप में मान्यता प्रदान की गयी. यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज कमिटी के 41वें सेशन में इसे भारत के पहले वैश्विक धरोहर वाले शहर के रूप में मान्यता दी गई.इसी श्रेणी में विश्व के अन्य शहरों जैसे पेरिस, एडिनबर्ग, गाले (श्रीलंका) कायरो एवं कुछ अन्य शहर शामिल हैं। अहमदाबाद के नाम पर 20 से अधिक देशों ने सहमति प�
��रकट की. अहमदाबाद को तुर्की, लेबनान, ट्यूनीशिया, पुर्तगाल, पेरू, कजाकिस्तान, वियतनाम, फिनलैंड, अज़रबैजान, जामैका, क्रोएशिया, ज़िम्बाब्वे, तंजानिया, दक्षिण कोरिया, अंगोलम और क्यूबा जैसे देशों ने समर्थन दिया.इन देशों द्वारा कहा गया कि अहमदाबाद में हिन्दू, मुस्लिम तथा जैन समुदाय के लोग मिलजुल कर रहते हैं इसलिए इसे वर्ल्ड हेरिटेज सिटी की सूची में शामिल किया जाना चाहिए. वर्ष 2011 में अह�
�दाबाद को यूनेस्को की संभावित सूची में डाला गया था.अहमदाबाद के नगर निगम आयुक्त, मुकेश कुमार के अनुसार इस शहर में 2600 से अधिक विरासत स्थल हैं जिसमें से लगभग 24 शहरों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित किया गया है। <br/> <br/> अहमदाबाद
    अहमदाबाद की स्थापना सुल्तान अहमद शाह द्वारा 15वीं सदी में साबरमती नदी के किनारे की गयी थी.
    यूनेस्को द्वारा बताया गया कि यह शहर वास्तुकला का शानदार नमूना प्रस्तुत करता है जिसमें छोटे किले, क़िलेबंद शहर की दीवारों और दरवाज़ों के साथ कई मस्जिदों और मकबरे दर्शनीय स्थलों में शामिल हैं।
    भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान अहमदाबाद प्रमुख शिविर आधार रहा है। इसी शहर में महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम की स्थापना की और स्वुतंत्रता संघर्ष से जुड़ें अनेक आन्दोमलन की शुरुआत भी यहीं से हुई थी.
    पश्चिम भारत में बसा ये शहर, समुद्र से 174 फ़ुट की ऊंचाई पर स्थित है। शहर में कंकरिया और वस्त्रापुर तालाब दो झीलें हैं। <br/> विश्व धरोहर स्थलइसे मानवता के लिए ऐसे महत्वपूर्ण स्थानों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिन्हें आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित करना आवश्यक है। ऐसे महत्वपूर्ण स्थलों के संरक्षण की पहल यूनेस्को द्वारा की गयी. इस संबंध में एक अंतरराष्ट्रीय संधि क�
� गयी जो कि विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर संरक्षण को बल देती है। इसे वर्ष 1972 में लागू किया गया. इसके अंतर्गत तीन श्रेणियां आती हैं – प्राकृतिक धरोहर स्थल – ऐसे भौतिक या भौगोलिक प्राकृतिक स्थान जो भौतिक और भौगोलिक दृष्टि से अत्यंत सुंदर या वैज्ञानिक महत्व के हों तथा यहां पाए जाने वाले जीव-जन्तु विलुप्ति के कगार पर खड़े हों. इस प्रकार के स्थानों को प्राकृतिक धरोहर स्थल के
रूप में जाना जाता है।सांस्कृतिक धरोहर स्थल - इस श्रेणी की धरोहर में स्मारक, स्थापत्य की इमारतें, मूर्तिकारी, चित्रकारी, स्थापत्य की झलक वाले, शिलालेख, गुफा आवास और वैश्विक महत्व वाले स्थान, इमारतों का समूह, अकेली इमारतें या आपस में संबंधित इमारतों का समूह, स्थापत्य में किया मानव का काम या प्रकृति और मानव के संयुक्त प्रयास का प्रतिफल, जो कि ऐतिहासिक, सौंदर्य, जातीय, मानवविज्ञान य�
�� वैश्विक दृष्टि से महत्व की हो, शामिल की जाती हैं।मिश्रित धरोहर स्थल - इस श्रेणी के अंतर्गत् वह धरोहर स्थल आते हैं जो कि प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों ही रूपों में महत्वपूर्ण होती हैं।यूनेस्को द्वारा घोषित किये गये भारतीय विश्व धरोहर स्थल हैं - <br/> काजीरंगा राष्ट्रीय पार्क (1985) केवलादेव राष्ट्रीय पार्क (1985) मानस वन्यजीव सेंक्चुरी (1985) नंदा देवी (1988) तथा फूलों की घाटी (2005),सुदरबन राष्�
��्रीय पार्क (1987) <br/>


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Who: अहमदाबाद
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Where: यूनेस्को
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What: वर्ल्ड हेरिटेज सिटी
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When: 08 जुलाई 2017
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Indian Shahar Ahmedabad Ko 08 July 2017 Ko UNESCO Dwara Bhaarat Ki Pehli World Heritable City Ke Roop Me Manyata Pradan Ki Gayi. UNESCO World Heritable कमिटी Ke 41वें Session Me Ise Bhaarat Ke Pehle Vaishwik Dharohar Wale Shahar Ke Roop Me Manyata Dee Gayi.Isi Series Me Vishwa Ke Anya Shaharon Jaise Paris , एडिनबर्ग , गाले (ShriLanka) कायरो Aivam Kuch Anya Shahar Shamil Hain । Ahmedabad Ke Naam Par 20 Se Adhik Deshon ne Sahmati Prakat Ki. Ahmedabad Ko Turkey , Lebanon , Tunisia , Purtgal , Peru , Kajakistan , Vietnam , Finland , Azerbaijan , जामैका , Croatia , ज़िम्बाब्वे , Tanzania , Dakshinn Korea , अंगोलम Aur Cuba Jaise Deshon ne Samarthan Diya.In Deshon Dwara Kahaa Gaya Ki Ahmedabad Me Hindu , Muslim Tatha Jain Samuday Ke Log मिलजुल Kar Rehte Hain Isliye Ise World Heritable City Ki Soochi Me Shamil Kiya Jana Chahiye. Year 2011 Me Ahmedabad Ko UNESCO Ki Sambhavit
Soochi Me Dala Gaya Tha.Ahmedabad Ke Nagar Nigam Ayukt , mukesh Kumar Ke Anusaar Is Shahar Me 2600 Se Adhik Virasat Sthal Hain Jisme Se Lagbhag 24 Shaharon Ko Indian Puratatv Sarvekshann (ASI) Dwara Sanrakshit Kiya Gaya Hai । <br/> <br/> Ahmedabad
    अहमदाबाद Ki Sthapanaa Sultan Ahmad Shah Dwara 15th Sadee Me SabarMati Nadi Ke Kinare Ki Gayi Thi.
    यूनेस्को Dwara Bataya Gaya Ki Yah Shahar Vastukala Ka Shandaar Namuna Prastut Karta Hai Jisme Chhote Kile , क़िलेबंद Shahar Ki Diwaron Aur दरवाज़ों Ke Sath Kai Masjidon Aur Makbare Darshaniy Sthalon Me Shamil Hain ।
    भारतीय Swatantrata Sangharsh Ke Dauran Ahmedabad Pramukh Shivir Aadhaar Raha Hai । Isi Shahar Me Mahatma Gandhi ne SabarMati Aashram Ki Sthapanaa Ki Aur स्वुतंत्रता Sangharsh Se जुड़ें Anek आन्दोमलन Ki Shuruat Bhi Yahin Se Hui Thi.
    पश्चिम Bhaarat Me Basa Ye Shahar , Samudra Se 174 फ़ुट Ki Unchai Par Sthit Hai । Shahar Me कंकरिया Aur वस्त्रापुर Talab Do Jhilen Hain । <br/> Vishwa Dharohar स्थलइसे मानवता Ke Liye Aise Mahatvapurnn Sthano Ke Roop Me Paribhashit Kiya Jaa Sakta Hai Jinhe Aage Ane Wali पीढ़ियों Ke Liye Sanrakshit Karna Awashyak Hai । Aise Mahatvapurnn Sthalon Ke Sanrakhshan Ki Pahal UNESCO Dwara Ki Gayi. Is Sambandh Me Ek Antarrashtriya Sandhi Ki Gayi Jo Ki Vishwa Sanskritik Aur Prakritik Dharohar Sanrakhshan Ko Bal Deti Hai । Ise Year 1972 Me Lagu Kiya Gaya. Iske Antargat Teen Shreniyan Aati Hain - Prakritik Dharohar Sthal - Aise Bhautik Ya Geogrophical Prakritik Sthan Jo Bhautik Aur Geogrophical Drishti Se Atyant Sundar Ya Vaigyanik Mahatva Ke Ho Tatha Yahan Paye Jane Wale Jeev - Jantu विलुप्ति Ke Kagar Par Khadae Ho. Is Prakar Ke Sthano Ko Prakritik Dharohar Sthal Ke
Roop Me Jana Jata Hai । Sanskritik Dharohar Sthal - Is Series Ki Dharohar Me Smarak , Sthapatya Ki Imartein , मूर्तिकारी , Chitrakari , Sthapatya Ki Jhalak Wale , Shilalekh , Gufa Aawas Aur Vaishwik Mahatva Wale Sthan , Imaraton Ka Samuh , Akeli Imartein Ya Aapas Me Sambandhit Imaraton Ka Samuh , Sthapatya Me Kiya Manav Ka Kaam Ya Prakriti Aur Manav Ke Sanyukt Prayas Ka Pratifal , Jo Ki Aitihasik , Saundary , Jateey , मानवविज्ञान Ya Vaishwik Drishti Se Mahatva Ki Ho , Shamil Ki Jati Hain । Mishrit Dharohar Sthal - Is Series Ke अंतर्गत् Wah Dharohar Sthal Aate Hain Jo Ki Prakritik Aur Sanskritik Dono Hee Roopo Me Mahatvapurnn Hoti Hain । UNESCO Dwara Ghosit Kiye Gaye Indian Vishwa Dharohar Sthal Hain - <br/> KaziRanga Rashtriya Park (1985) Kevaladev Rashtriya Park (1985) Manas VanyaJeev सेंक्चुरी (1985) Nanda Devi (1988) Tatha Foolon Ki Ghati (2005) , सुदरबन Rashtriya Park (1987) <br
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Who: Ahmedabad
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Where: UNESCO
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What: World Heritable City
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When: 08 July 2017
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4 1 br 3 9 8 2 Vishwa Bank ne Haal Hee Me Kahaa Ki Jalwayu Pariv

विश्व बैंक ने हाल ही में कहा कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में भारत अग्रणी देश बनकर उभर रहा है। उसने कहा कि एशियाई देशों में उर्जा के स्रोत के तौर पर सौर उर्जा धीरे-धीरे कोयले का स्थान ले रही है। <br/> विश्व बैंक ने कहा की अपने लोगों को वर्ष 2030 तक चौबीसों घंटे बिजली उपलब्ध कराने के लिए सौर उर्जा की ओर प्रतिबद्धता, नवोन्मेषी समाधान और उर्जा दक्षता पहलों के साथ भारत जलवायु �
��रिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में अग्रणी बनकर उभर रहा है। विश्व बैंक के मुताबिक, अपनी वृद्धि को बढ़ाने के लिए और अधिक स्वच्छ उर्जा का इस्तेमाल करने की सचेत पसंद के साथ ही भारत जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से धरती को बचाने के वैश्विक प्रयासों में योगदान दे रहा है। <br/> विश्व बैंक ने कहा की भारत और उसके अलावा ऊर्जा के स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा कोयले की जगह ले रही है। उसने कहा कि सौर
फोटोवॉल्टेक (पीवी) से बिजली पैदा करने की लागत वर्ष 2009 के मुकाबले एक चौथाई कम है और वर्ष 2040 तक इसके 66 फीसदी तक और कम होने की संभावना है। <br/> <br/> रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में साल में लगभग 300 दिन धूप निकलती है इसलिए भारत में सौर उर्जा का फायदा उठाने और इसका इस्तेमाल करने के लिए विश्व में सबसे अच्छी परिस्थितियां हैं। <br/> विश्व बैंक ने कहा कि भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी परियोजनाएं बनाई �
��ैं जिसमें वर्ष 2022 तक पवन चक्की और सौर उर्जा से 160 गीगावॉट तक बिजली पैदा करने का लक्ष्य शामिल है। विश्व बैंक ने कहा की यह अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भारत के सौर बाजार में निवेश करने का भी अच्छा मौका है। <br/> रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ सप्ताह पहले भारत ने कोयले से चलने वाले 14 गीगावॉट क्षमता वाले बिजली संयंत्र स्थापित करने की योजना से कदम पीछे खींच लिए क्योंकि अब सौर उर्जा से बिजल
ी पैदा करने में वहन करने योग्य लागत आती है। रिपोर्ट में इस संबंध में भारत के कदमों की तारीफ की गई है। <br/>   <br/>


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Who: विश्व बैंक
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What: भारत जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी बन रहा है
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When: 8 जुलाई 2017
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4.1 <br/> 3.9 <br/> 3.8 <br/> 4.2 <br/> 4.2 <br/> 3.9 <br/> <br/> Vishwa Bank ne Haal Hee Me Kahaa Ki Jalwayu Parivartan Ke Khilaf Vaishwik Ladai Me Bhaarat Agranni Desh Bankar Ubhar Raha Hai । Usane Kahaa Ki Asian Deshon Me Urja Ke Strot Ke Taur Par Solar Urja Dhire - Dhire Koyale Ka Sthan Le Rahi Hai । <br/> Vishwa Bank ne Kahaa Ki Apne Logon Ko Year 2030 Tak चौबीसों Ghante Bijli Uplabdh Karane Ke Liye Solar Urja Ki Or Pratibaddhta , नवोन्मेषी Samadhaan Aur Urja Dakshta pahalon Ke Sath Bhaarat Jalwayu Parivartan Ke Khilaf Vaishwik Ladai Me Agranni Bankar Ubhar Raha Hai । Vishwa Bank Ke Mutabik , Apni Vridhi Ko Badhane Ke Liye Aur Adhik Swachh Urja Ka IsteMal Karne Ki Sachet Pasand Ke Sath Hee Bhaarat Jalwayu Parivartan Ke Prabhavon Se Dharti Ko Bachane Ke Vaishwik Prayason Me Yogdan De Raha Hai । <br/> Vishwa Bank ne Kahaa Ki Bhaarat Aur Uske ALava Urja Ke Strot Ke Roop Me Solar Urja Koyale Ki Jagah Le Rahi Hai । Usane Kahaa Ki Sol
ar फोटोवॉल्टेक (PV) Se Bijli Paida Karne Ki Lagat Year 2009 Ke Muqable Ek Chauthai Kam Hai Aur Year 2040 Tak Iske 66 Feesdi Tak Aur Kam Hone Ki Sambhawna Hai । <br/> <br/> Report Me Kahaa Gaya Hai Ki Bhaarat Me Sal Me Lagbhag 300 Din Dhoop Nikalti Hai Isliye Bhaarat Me Solar Urja Ka Fayda Uthane Aur Iska IsteMal Karne Ke Liye Vishwa Me Sabse Achhi Paristhitiyaan Hain । <br/> Vishwa Bank ne Kahaa Ki Bhaarat Sarkaar ne Matvakankshi Pariyojnayein Banai Hain Jisme Year 2022 Tak Pawan Chakki Aur Solar Urja Se 160 गीगावॉट Tak Bijli Paida Karne Ka Lakshya Shamil Hai । Vishwa Bank ne Kahaa Ki Yah Antarrashtriya Kampaniyon Ke Liye Bhaarat Ke Solar Bazar Me Nivesh Karne Ka Bhi Achachha Mauka Hai । <br/> Report Me Kahaa Gaya Hai Ki Kuch Saptah Pehle Bhaarat ne Koyale Se Chalne Wale 14 गीगावॉट Shamta Wale Bijli Sayantra Sthapit Karne Ki Yojana Se Kadam Pichhe Khinch Liye Kyonki Ab Solar Urja Se Bijli Paida Karne Me Vahan Karne Yo
gya Lagat Aati Hai । Report Me Is Sambandh Me Bhaarat Ke Kadamon Ki Tareef Ki Gayi Hai । <br/> <br/>


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Who: Vishwa Bank
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What: Bhaarat Jalwayu Parivartan Ke Khilaf Ladai Me Agranni Ban Raha Hai
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When: 8 July 2017
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Japan Ke ओकिनोशिमा Dveep Ko UNESCO Dwara 09 July 2017

जापान के ओकिनोशिमा द्वीप को यूनेस्को द्वारा 09 जुलाई 2017 को विश्व धरोहर स्थल (वर्ल्ड हेरिटेज साइट) घोषित किया गया. यह द्वीप केवल पुरुषों के लिए है जबकि यहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। यह एक धार्मिक स्थान है जहां पुरुषों को धार्मिक अनुष्ठान के तहत यहां आकर स्नान करना होता है तथा समुद्र तट पर नग्न स्नान करना होता है। इस कारण यहां महिलाओं को आने की अनुमति नहीं है। यह स्थान जापान के ल
िए धार्मिक दृष्टि से पवित्र माना जाता है।जापान के दक्षिण-पश्चिम क्यूशू द्वीप तथा कोरिया के प्रायद्वीप ओकिनोशिमा के मध्य स्थित यह द्वीप चौथी शताब्दी तक समुद्री सुरक्षा के लिए प्रार्थना स्थल और चीन व कोरिया के बीच संबंधों का केंद्र था.पोलैंड में हुई यूनेस्को की वार्षिक बैठक में 700 वर्ग मीटर में फैले इस द्वीप पर इससे जुड़े रीफ और चार अन्य संबंधित स्थलों को विश्व धरोहर का दर्जा प्
रदान किया गया है। इस सूची में अब जापान के सांस्कृतिक और प्राकृतिक स्थलों की संख्या बढ़कर 21 हो गई है। <br/> <br/> ओकिनोशिमा द्वीप
    ओकिनोशिमा द्वीप पर जाने वाले लोगों को वहां की कोई यादगार वस्तु अपने साथ लाने की अनुमति नहीं है।
    यहां आने वाले श्रद्धालु अपने साथ कंकड़-पत्थर अथवा घास भी नहीं ला सकते.
    महिलाओं के प्रवेश पर रोक सहित पुराने समय से चली आ रही सभी पाबंदियां आज भी इस द्वीप पर मानी जाती हैं।
   यह द्वीप जापान से कुछ दूरी पर मौजूद है यहां पहुंचने के लिए समुद्र मार्ग से रास्ता तय करना होता है।
   यह भी कहा जाता है कि पिछले जमाने में महिलाओं के लिए समुद्री रास्ते से आना-जाना सुरक्षित नहीं माना जाता था इसलिए भी उन्हें यहां आने की मनाही थी. <br/>


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Who: ओकिनोशिमा द्वीप
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Where: जापान
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What: यूनेस्को विश्व धरोहर
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When: 09 जुलाई 2017
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Japan Ke ओकिनोशिमा Dveep Ko UNESCO Dwara 09 July 2017 Ko Vishwa Dharohar Sthal (World Heritable Site) Ghosit Kiya Gaya. Yah Dveep Kewal Purushon Ke Liye Hai Jabki Yahan Mahilaon Ka Pravesh Varjit Hai । Yah Ek Dharmik Sthan Hai Jahan Purushon Ko Dharmik Anusthan Ke Tahat Yahan Aakar Snan Karna Hota Hai Tatha Samudra Tat Par Nagn Snan Karna Hota Hai । Is Karan Yahan Mahilaon Ko Ane Ki Anumati Nahi Hai । Yah Sthan Japan Ke Liye Dharmik Drishti Se Pavitra Mana Jata Hai । Japan Ke Dakshinn - Pashchim Kyushu Dveep Tatha Korea Ke Praaydveep ओकिनोशिमा Ke Madhy Sthit Yah Dveep Chauthi Satabdi Tak Samudri Surakshaa Ke Liye Praarthna Sthal Aur China Wa Korea Ke Beech Sambandhon Ka Kendra Tha.Poland Me Hui UNESCO Ki Vaarshik Baithak Me 700 Warg Meter Me Faile Is Dveep Par Isse Jude Reef Aur Char Anya Sambandhit Sthalon Ko Vishwa Dharohar Ka Darja Pradan Kiya Gaya Hai । Is Soochi Me Ab Japan Ke Sanskritik Aur Prakritik Sthalon Ki Sankhya Badh
kar 21 Ho Gayi Hai । <br/> <br/> ओकिनोशिमा Dveep
    ओकिनोशिमा Dveep Par Jane Wale Logon Ko Wahan Ki Koi Yadgar Vastu Apne Sath Lane Ki Anumati Nahi Hai ।
    यहां Ane Wale Shraddhalu Apne Sath Kankad - Patthar Athvaa Ghaas Bhi Nahi La Sakte.
    महिलाओं Ke Pravesh Par Rok Sahit Purane Samay Se Chali Aa Rahi Sabhi पाबंदियां Aaj Bhi Is Dveep Par Mani Jati Hain ।
   Yah Dveep Japan Se Kuch Doori Par Maujood Hai Yahan Pahunchne Ke Liye Samudra Marg Se Rasta Tay Karna Hota Hai ।
   Yah Bhi Kahaa Jata Hai Ki Pichhle Jamane Me Mahilaon Ke Liye Samudri Raste Se Aana - Jana Surakshit Nahi Mana Jata Tha Isliye Bhi Unhe Yahan Ane Ki Manahi Thi. <br/>


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Who: ओकिनोशिमा Dveep
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Where: Japan
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What: UNESCO Vishwa Dharohar
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When: 09 July 2017
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