Friday, 15 September 2017

Anwla Ki Kheti

आंवला की खेती

सामान्य जानकारी: आँवला युफ़ोरबिएसी परिवार का पौधा है। यह भारतीय मूल का एक महत्वपूर्ण फल है। भारत केविभिन्न क्षेत्रों में इसे विभिन्न नामों, जैसे, हिंदी में 'आँवला', संस्कृत में 'धात्री' या 'आमलकी', बंगाली एवं उड़ीया में, 'अमला' या 'आमलकी', तमिल एवं मलयालम में, 'नेल्ली', तेलगु में 'अमलाकामू, गुरुमुखी में, 'अमोलफल', तथा अंग्रेजी में 'ऐम्बलिक', 'माइरोबालान' या इंडियन गूजबेरी के नाम से जाना जाता है। अपने अद्वितीय औषधीय एवं पोषक गुणों के कारण, भारतीय पौराणिक साहित्य जैसे वेद, स्कन्दपुराण, शिवपुराण, पदमपुराण, रामायण, कादम्बरी, चरक संहिता, सुश्रुत संहिता में इसका वर्णन मिलता है। महर्षि चरक ने इस फल को जीवन दात्री अथवा अमृतफल के समान लाभकारी माना है। अतः इसे अमृत फल तथा कल्प वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है। आँवले की विशेषतायें हैं, प्रति इकाई उच्च उत्पादकता (15-20 टन/हेक्टेयर), विभिन्न प्रकार की भूमि (ऊसर, बीहड़, खादर, शुष्क, अर्धशुष्क, कांडी, घाड़) हेतु उपयुक्तता, पोषण एवं औषधीय (विटामिन सी, खनिज, फिनॉल, टैनिन) गुणों से भरपूर तथा विभिन्न रूपों में (खाद्य, प्रसाधन, आयुर्वेदिक) उपयोग के कारण आँवला 21वी सदी का प्रमुख फल हो सकता है। धर्म परायण हिन्दू इसके फलों एवं वृक्ष को अत्यंत पवित्र मानते हैं तथा इसका पौराणिक महत्व भी है। ऐसा कहा जाता है कि यदि कार्तिक मास में इसके वृक्ष के नीचे बैठ कर विष्णु की पूजा की जाये तो स्वर्ग की प्राप्ति होती है। यदि तुलसी का पौधा नहीं मिले तो भगवान विष्णु की पूजा आँवले के वृक्ष के नीचे बैठ कर की जा सकती है। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि आँवले के वृक्ष के नीचे पिण्ड दान करने से पितरों को मुक्ति प्राप्त होती है। हिन्दू धर्म के अनुसार कार्तिक मास में कम से कम एक दिन आँवले के वृक्ष के नीचे भोजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है, जब इसके फल परिपक्व होते है। हिन्दू धर्म के अनुसार आँवले के फल का लगातार 40 दिनों तक सेवन करते रहने वाले व्यक्ति में नई शारीरिक स्फूर्ति आती है तथा कायाकल्प हो जाता है।

Phonetic Version
Anwla Ki Kheti

Samanya Jankari: Anwla युफ़ोरबिएसी Pariwar Ka Paudha Hai । Yah Bharateey Mool Ka Ek Mahatvapurnn Fal Hai । Bhaarat केविभिन्न Area Me Ise Vibhinn Namo , Jaise , Hindi Me 'Anwla' , Sanskrit Me 'धात्री' Ya 'आमलकी' , Bangali Aivam उड़ीया Me , 'अमला' Ya 'आमलकी' , Tamil Aivam Malayalam Me , 'नेल्ली' , तेलगु Me 'अमलाकामू , Gurumukhi Me , 'अमोलफल' , Tatha Angreji Me 'ऐम्बलिक' , 'माइरोबालान' Ya Indian गूजबेरी Ke Naam Se Jana Jata Hai । Apne Advitiya Aushadhiy Aivam Poshak Gunnon Ke Karan , Bharateey Paurannik Sahitya Jaise Ved , स्कन्दपुराण , शिवपुराण , पदमपुराण , Ramayann , kadambari , Charak Sanhita , सुश्रुत Sanhita Me Iska Varnnan Milta Hai । Maharshi Charak ne Is Fal Ko Jeevan दात्री Athvaa अमृतफल Ke Saman Labhkari Mana Hai । Atah: Ise Amrit Fal Tatha Kalp Vriksh Ke Naam Se Bhi Jana Jata Hai । Anwle Ki विशेषतायें Hain , Prati Ikai Uchh Utpadakta (15 - 20 Ton/Hectare) , Vibhinn Prakar Ki Bhumi (Oosar , Beehad , Khadar , Shushk , अर्धशुष्क , कांडी , घाड़) Hetu Upyuktata , Poshnn Aivam Aushadhiy (Vitamin Si , Khanij , Phenol , Tenin) Gunnon Se Bharpoor Tatha Vibhinn Roopo Me (Khadya , Prasadhan , ayurvedic) Upyog Ke Karan Anwla 21वी Sadee Ka Pramukh Fal Ho Sakta Hai । Dharm परायण Hindu Iske Falon Aivam Vriksh Ko Atyant Pavitra Mante Hain Tatha Iska Paurannik Mahatva Bhi Hai । Aisa Kahaa Jata Hai Ki Yadi Kartik Maas Me Iske Vriksh Ke Niche Baith Kar Vishnnu Ki Pooja Ki Jaye To Swarg Ki Prapti Hoti Hai । Yadi Tulsi Ka Paudha Nahi Mile To Bhagwan Vishnnu Ki Pooja Anwle Ke Vriksh Ke Niche Baith Kar Ki Jaa Sakti Hai । Hindu Dharm Me Aisi Manyata Hai Ki Anwle Ke Vriksh Ke Niche Pind Dan Karne Se Pitaron Ko Mukti Prapt Hoti Hai । Hindu Dharm Ke Anusaar Kartik Maas Me Kam Se Kam Ek Din Anwle Ke Vriksh Ke Niche Bhojan Karna Atyant Shubh Mana Jata Hai , Jab Iske Fal Paripakw Hote Hai । Hindu Dharm Ke Anusaar Anwle Ke Fal Ka Lagataar 40 Dino Tak Sevan Karte Rehne Wale Vyakti Me Naee Sharirik स्फूर्ति Aati Hai Tatha कायाकल्प Ho Jata Hai ।

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