Friday, 15 September 2017

Anwle Ki Kismein

आँवले की किस्में
पूर्व में आँवला की तीन प्रमुख किस्में यथा बनारसी, फ्रांसिस (हाथी झूल) एवं चकैइया हुआ करती थी। इन किस्मों की अपनी खूबियाँ एवं कमियाँ रही हैं। बनारसी किस्म में फलों का गिरना एवं फलों का कम भंडारण क्षमता, फ्रान्सिस किस्म में यद्यपि बड़े आकार के फल लगते हैं परन्तु उत्तक क्षय रोग अधिक होता है। चकैइया के फलों में अधिक रेशा एवं एकान्तर फलन की समस्या के कारण इन किस्मों के रोपण को प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए। पारम्परिक किस्मों की इन सब समस्याओं के निदान हेतु नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, फैजाबाद ने कुछ नयी किस्मों का चयन किया है जिनका संक्षिप्त विवरण निम्न है:

Phonetic Version
Anwle Ki Kismein
Poorv Me Anwla Ki Teen Pramukh Kismein Yatha Banarasi , French (Hathi Jhool) Aivam चकैइया Hua Karti Thi । In Kismon Ki Apni Khoobiyaan Aivam Kamiyan Rahi Hain । Banarasi Kism Me Falon Ka Girna Aivam Falon Ka Kam Bhandaran Shamta , फ्रान्सिस Kism Me Yadyapi Bade Akaar Ke Fal Lagte Hain Parantu Uttak Kshay Rog Adhik Hota Hai । चकैइया Ke Falon Me Adhik Resha Aivam एकान्तर फलन Ki Samasya Ke Karan In Kismon Ke Ropann Ko Protsahit Nahi Karna Chahiye । Paramparik Kismon Ki In Sab Samasyaon Ke Nidaan Hetu Narendra Dev Krishi Aivam Prodyogik VishwaVidyalaya , कुमारगंज , Faizabad ne Kuch Nayi Kismon Ka Chayan Kiya Hai Jinka Sankshipt Vivarann Nimn Hai:

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